गुजरात के पावन गिरनार तीर्थ की ओर विहार कर रहे एक पूज्य जैन मुनिराज हाल ही में एक दर्दनाक दुर्घटना का शिकार हो गए। ट्रक से हुई टक्कर में उन्हें गंभीर चोटें आई हैं।
यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — पूरे समाज के लिए, श्रद्धालुओं के लिए और शासन के लिए कि हम कुछ महत्वपूर्ण खो रहे हैं — अपनी जिम्मेदारी और सजगता।

Government: बढ़ते हादसे, घटती संवेदनाएं
पिछले कुछ वर्षों में अनेक जैन साधु-साध्वियों के साथ सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं।
ये वे आत्माएं हैं जो बिना किसी सुविधा के, नंगे पांव, भीषण धूप, बारिश और सड़कों की चहल-पहल के बीच संयम और धर्म का संदेश लेकर नगर-नगर विचरण करती हैं।
फिर भी, ये मुनिराज दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं — इसका दोष किसे दें?
- समाज की लापरवाही?
- प्रशासन की उदासीनता?
- या व्यवस्था की कमी?
यह प्रश्न अब और टाला नहीं जा सकता।
Jain Monk: विहार में बढ़ती भीड़ नहीं, बढ़ती सुरक्षा बने
जब कोई मुनिराज नगर में प्रवेश करते हैं, तो वह केवल कोई धार्मिक गतिविधि नहीं होती, बल्कि पूरे शहर के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
ऐसे में विहार के समय अधिक संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि मुनियों की सुरक्षा का कवच बन जाती है।
जब मुनियों के आगे-पीछे सैकड़ों श्रद्धालु चलते हैं, तो वाहन चालक भी सतर्क होते हैं, प्रशासन भी सजग रहता है।
यह हर श्रावक की आध्यात्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी है कि वे विहार में भाग लें।
यह उपस्थिति नहीं, संरक्षण है। यह हमारी श्रद्धा की असली परीक्षा है।
Jainism: सरकार से सवाल
क्या यह समय नहीं आ गया है कि भारत सरकार जैन मुनियों के विहार को ध्यान में रखते हुए कुछ विशेष नियम बनाए?
- मुनि विहार मार्गों पर ट्रैफिक नियंत्रण और चेतावनी बोर्ड
- विहार की पूर्व सूचना पर नगर प्रशासन द्वारा सड़कों की सुरक्षा व्यवस्था
- एक ‘धार्मिक विहार सुरक्षा नीति’ का निर्माण
- हर राज्य में धार्मिक संतों के लिए एक समर्पित सुरक्षा विभाग की स्थापना
अगर दूसरे धर्मों की यात्राओं और उत्सवों के लिए विशेष नियम हो सकते हैं, तो जैन मुनियों के लिए क्यों नहीं?
Road accident: यह सिर्फ हादसा नहीं, संकेत है
हर दुर्घटना सिर्फ खबर नहीं, एक संकेत होती है — चेतावनी देती है कि हम कुछ भूल रहे हैं।
जो मुनि अपने लिए कुछ नहीं मांगते, वो समाज के लिए सब कुछ छोड़ देते हैं।
क्या हम उनके लिए इतना भी नहीं कर सकते कि वे सुरक्षित रहें?
उनकी साधना की कीमत हमारी सजगता से चुकाई जा सकती है।
अगर आज हमने ध्यान नहीं दिया, तो आने वाला कल केवल पश्चाताप का दिन बनकर रह जाएगा।
Safety: क्या करें – एक जन-आवाज़ बनाएं:
✅ प्रशासन तक मांग पहुँचाएं कि विहार को लेकर कानून बने
✅ श्रद्धालु विहार में बढ़-चढ़कर भाग लें
✅ सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं – #MunirajSuraksha #ViharSafety #JainVoice
✅ स्थानीय समिति बनाकर मुनियों के विहार की जानकारी और मार्ग सुरक्षा सुनिश्चित करें
अंतिम विचार:
संन्यास का पथ त्याग और तपस्या का प्रतीक है — लेकिन यह पथ मौत का नहीं, मोक्ष का मार्ग है।
आइए, मुनियों को सिर्फ श्रद्धा नहीं, सुरक्षा भी दें।
धर्म की रक्षा तभी होगी जब धर्म के वाहक सुरक्षित रहेंगे।
क्या आपने आज मुनियों की सुरक्षा के लिए कुछ किया? अब समय है — आवाज़ उठाने का।