“जब दुनिया कुर्बानी की बात करे — तो एक जैन की पहचान क्या हो?”

हर वर्ष जब कोई पर्व आता है, हम उल्लास में डूब जाते हैं। घर सजते हैं, मिठाइयाँ बनती हैं, और सोशल मीडिया रंग-बिरंगी कहानियों से भर जाता है। पर क्या कभी आपने सोचा है —
क्या हर त्योहार की कीमत किसी की जान होनी चाहिए?

जब हम उत्सव मनाते हैं, कहीं कोई निरीह जीव अपने जीवन की भीख मांग रहा होता है।
हर धर्म की अपनी परंपराएं होती हैं, लेकिन हर आत्मा की पीड़ा समान होती है।

 Eid ul adha 2025: एक जैन होने के नाते — हम क्या कर सकते हैं?

जब दुनिया उत्सव के शोर में खोई हो,
हम एक मौन क्रांति शुरू कर सकते हैं।
यहाँ कोई उपदेश नहीं — सिर्फ 6 करुणामयी विचार, जो आपकी आत्मा को छू सकते हैं।

1. मौन पूजा — उनके लिए जो चीख तक नहीं सकते

बलि के लिए ले जाए जा रहे जानवरों के दिल में क्या चलता होगा?

वे बोल नहीं सकते,
लेकिन उनकी मौन प्रार्थना को हम सुन सकते हैं।

  • उस दिन नमोकार मंत्र का जाप करें — हर उस आत्मा के लिए जो चुपचाप पीड़ा झेलती है।
  • एकांत में बैठकर मौन पूजा करें, बिना दिखावे के, बस करुणा के साथ।

2. “दया सिखाओ दिवस” बच्चों के साथ मनाएं

बच्चे मासूम होते हैं —
हिंसा को नहीं समझते, सीखते हैं

उन्हें संवेदनशील बनाना हमारा धर्म है।

  • गाय की कहानी सुनाइए जिसने अपने बच्चे को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी
  • वो साधु की कहानी जो प्यासा मर गया लेकिन चींटी को नहीं कुचला

कहानियाँ सोच बदलती हैं।

3. एक जीवन बचाइए — करुणा से भरा एक छोटा सा काम

हर जानवर जो कत्लखाने की ओर ले जाया जाता है,
उनकी आँखों में एक ही सवाल होता है:
“क्या मुझे कोई बचाएगा?”

  • पास की गोशाला में चारा भेजिए
  • किसी घायल जानवर को इलाज दिलवाइए
  • एक shelter की ज़िम्मेदारी उठाइए

आपके एक कदम से किसी की पूरी ज़िंदगी बदल सकती है।

4. सोशल मीडिया पर compassion फैलाइए

त्योहारों पर Instagram पर खूनी तस्वीरें भी ट्रेंड करती हैं।
आपका एक compassionate post, trend बदल सकता है।

  • एक गाय को गले लगाते हुए तस्वीर
  • shelter के बाहर की तस्वीर
  • या बस एक लाइन:

    “मैं पर्व नहीं मना रहा, मैं जीवन बचा रहा हूं।”

5. आत्मा से संवाद करें — क्या मैं बस देखता रहूंगा?

कई बार हम कहते हैं — “मुझे फर्क नहीं पड़ता”
पर सच यह है — हमें फर्क पड़ता है,
बस हम चुप रह जाते हैं।

उस दिन खुद से एक सवाल ज़रूर पूछिए:

“अगर मेरे सामने किसी बच्चे को मारा जाए — क्या मैं चुप रहूंगा?”

अगर नहीं,
तो जानवरों के लिए क्यों?

6. करुणा व्रत — सिर्फ पेट नहीं, आत्मा के लिए

  • उस दिन किसी को अपशब्द ना कहें
  • गुस्से से बचें
  • किसी को अपमानित ना करें
  • किसी भी जीव को नुकसान ना पहुंचाएं

यह व्रत आपको खुद से जोड़ देगा
और एक नई शुरुआत का द्वार खोलेगा।

 Jainism: निष्कर्ष — एक नया पर्व

जिस दिन आप किसी जानवर को उसकी मौत से बचा लें,
वो दिन ही आपका सबसे पवित्र पर्व बन जाता है।

आइए, इस बार एक नया पर्व मनाएं —
जिसमें न खून बहे, न चीखें हों…
बस मौन हो — संवेदना का, करुणा का, जीवन का।

अंत में एक पंक्ति…

“हम जैन हैं — और जैन होने का अर्थ है, हर आत्मा में स्वयं को देखना।”