क्या आपने कभी गौर किया है — वो चॉकलेट जो दुकान में इतनी चमकदार दिखती है कि दिल तुरंत खरीदने को कर जाए वो इतनी शाइनी होती कैसे है?
वो सेब जो सुपरमार्केट में शीशे जैसा दमकता है, या वो टैबलेट जिसकी सतह इतनी चिकनी लगती है — क्या आपने कभी सोचा कि इस चमक की असली कीमत कौन चुका रहा है?आइए, आज जानें उस “अनदेखे ingredient” — Shellac की सच्चाई, जो हमारी चॉकलेट, फलों, दवाइयों, यहाँ तक कि लकड़ी और ज्वेलरी की चमक के पीछे छिपा है।
Shellac क्या है?
Shellac एक प्राकृतिक रेज़िन (resin) है, जो “लाख कीट” (Kerria lacca) नामक छोटे से कीड़े द्वारा तैयार की जाती है। ये कीट भारत, थाईलैंड और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों के पेड़ों की डालियों पर चिपककर एक चिकना रेज़िन जैसा पदार्थ छोड़ते हैं।
बाद में इंसान इन डालियों को खुरचकर, उस पदार्थ को साफ़ कर और प्रोसेस करके Shellac बनाता है।
लेकिन इस प्रक्रिया में लाखों कीटों का जीवन समाप्त हो जाता है — उनके घर, उनके पेड़, सब नष्ट कर दिए जाते हैं। यही वजह है कि Shellac animal-derived product है, यानी यह non-vegetarian श्रेणी में आता है।

Shellac कहाँ-कहाँ इस्तेमाल होता है?
Shellac हमारे आस-पास इतनी चीज़ों में मौजूद है कि शायद हम रोज़ाना इसका उपयोग कर रहे हैं, बिना जाने।
आइए जानते हैं — कहाँ और कैसे।
1. चॉकलेट और कैंडी की चमक में

वो मिठास जो दिखने में मोहक लगती है, उसमें एक कड़वाहट छिपी होती है।
Shellac का उपयोग “Confectioner’s Glaze (E904)” या “Resinous Glaze” के नाम से किया जाता है।
यह परत चॉकलेट और कैंडीज़ को शाइनी, प्रोटेक्टेड और आकर्षक बनाती है ताकि वे लंबे समय तक टिकें और पिघलें नहीं।
कुछ लोकप्रिय ग्लोबल ब्रांड जैसे Ferrero Rocher आदि के कुछ वेरिएंट्स में Shellac उपयोग का उल्लेख किया गया है।
लेकिन हर चमक के पीछे एक सवाल है — क्या वो निर्दोष है?
2. फलों की सतह पर (जैसे सेब, चेरी, प्लम आदि)

कई imported और बाजार में बिकने वाले फल इतने चमकदार क्यों दिखते हैं?
क्योंकि उनकी सतह पर Shellac की एक पतली परत चढ़ाई जाती है।
इससे फल सूखने से बचता है, पर दिखने में artificially fresh लगता है।
पर क्या आप जानते हैं?
यह परत 100% vegetarian नहीं होती।
जो लोग Jain या शुद्ध शाकाहारी जीवन जीते हैं, उनके लिए यह coating अहिंसा और शुद्धता के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
3. दवाइयों और पिल्स की कोटिंग में

कई टैबलेट्स और कैप्सूल्स की चिकनी सतह देखकर लगता है कि वो सुरक्षित हैं।
पर कई बार उनकी कोटिंग में भी Shellac होता है — ताकि दवा धीरे-धीरे घुले और टिकाऊ रहे।
इसलिए, Jain या vegan व्यक्तियों को हर बार दवा लेते समय composition ध्यान से पढ़ना चाहिए।
कई कंपनियाँ इसे “Natural Coating” या “Resinous Layer” कहकर छिपा देती हैं।
4. ज्वेलरी, लकड़ी और पेंट्स में

अब आइए जानें — कैसे Shellac सिर्फ खाने की चीज़ों में ही नहीं, बल्कि हमारे आस-पास के सजावटी उत्पादों में भी अपनी जगह बना चुका है।
Shellac का उपयोग wood finishing, polish, paints और jewellery coating में किया जाता है।
यह एक प्राकृतिक वार्निश (varnish) की तरह काम करती है, जो लकड़ी, धातु या आभूषणों को चमकदार और smooth बनाती है।
लेकिन यही चमक उस कीट के जीवन की कीमत पर आती है, जो अपने पेड़ पर सिर्फ एक घर बनाना चाहता था।
वो घर, वो जीवन, सब छीन लिया जाता है — ताकि इंसान के फर्नीचर, कलाकृति या आभूषण चमकें।
क्या ये सौंदर्य वाकई सुंदर है, जब वह किसी के जीवन की रोशनी छीन ले?
क्यों Vegetarians को सावधान रहना चाहिए?
अहिंसा केवल Jain दर्शन का सिद्धांत नहीं — यह हर संवेदनशील मनुष्य की सोच होनी चाहिए।
Shellac की प्राप्ति प्रक्रिया इस सोच के ठीक विपरीत है।
- लाखों कीटों को पेड़ों से हटाया या मारा जाता है।
- उनके आवास को खुरचकर नष्ट कर दिया जाता है।
- और यह सब सिर्फ “चमक” और “लुक्स” के नाम पर होता है।
कंपनियाँ अक्सर लेबल पर “E904”, “Resinous Glaze” या “Confectioner’s Glaze” लिख देती हैं ताकि उपभोक्ता भ्रमित रहें और यह समझें कि यह कोई साधारण केमिकल है।
पर सच तो यह है — यह एक जीव से प्राप्त पदार्थ है।
क्या आप जानते हैं?
Shellac आज भी दुनिया का एकमात्र “food-grade insect product” है, जिसे खाने की चीज़ों, दवाइयों और पॉलिश में कानूनी रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
क्या करें – हमारा कदम क्या हो सकता है?
- लेबल ध्यान से पढ़ें:
यदि “E904”, “Confectioner’s Glaze”, “Resinous Glaze” या “Natural Glaze” लिखा हो, तो सोचें — क्या यह वास्तव में “नेचुरल” है? - विकल्प चुनें:
कई vegan और cruelty-free ब्रांड्स अब Carnauba Wax या plant-based coatings का उपयोग करते हैं। इन्हें प्राथमिकता दें। - जागरूकता फैलाएँ:
अगली बार जब आप किसी चमकदार चॉकलेट, फल या लकड़ी की वस्तु को देखें, तो दूसरों को बताएं — उस चमक के पीछे कितनी जिंदगियाँ छिपी हैं।
सोचिए
“जो चमक हमें लुभाती है, वही किसी और की जान लेती है।”
सच्चा सौंदर्य वो नहीं जो आँखों को भाए,
बल्कि वो है जो आत्मा को अहिंसा की दिशा में जगाए।
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