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आचार्य श्री विहर्ष सागर जी ससंघ का इंदौर नगरी में भव्य मंगल प्रवेश

जैन समाज के लिए यह एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दिवस था, जब वात्सल्य रत्नाकर 108 आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज ससंघ इंदौर नगरी में पहुंचे।

आचार्य श्री के साथ कौन-कौन उपस्थित थे

इस दिव्य आगमन के अवसर पर उनके साथ थे:

  • आर्यिका विज्ञश्री और आर्यिका विंध्यश्री माताजी ससंघ
  • 50 से अधिक मुनि और आर्यिका संघ

इन सभी संघों ने इस पट्टाचार्य महोत्सव जैसे महाकुंभ में भाग लेकर इसे और भी विशेष और यादगार बना दिया।

नगर में मंगल प्रवेश का दृश्य

श्रद्धालुओं और नगरवासियों ने श्रद्धा, पुष्पमालाएं और मंत्रोच्चार के साथ उनका स्वागत किया।

  • पूरे नगर में आध्यात्मिक ऊर्जा और उल्लास व्याप्त था।
  • प्रत्येक भक्त ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए भक्ति और समर्पण का अनुभव किया।
आयोजन का महत्व

यह आयोजन केवल स्वागत का नहीं था, बल्कि यह जैन धर्म की परंपरा और आध्यात्मिक संदेश को जीवंत करता है।

  • संयम, भक्ति और सेवा की भावना को समाज में फैलाता है।
  • श्रद्धालुओं के हृदय में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक प्रेरणा का संचार करता है।
  • यह अवसर समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन में एक अमूल्य अनुभव बनकर उभरता है।
क्यों बनता है यह अवसर विशेष?
  • यह आध्यात्मिक नेतृत्व और समाज सेवा का आदर्श प्रस्तुत करता है।
  • श्रद्धालुओं को धर्म, शांति और समर्पण के मार्ग पर प्रेरित करता है।
  • नगरवासियों और जैन समाज के लिए यह समानांतर आध्यात्मिक उत्सव का अनुभव है।

आचार्य श्री विहर्ष सागर जी: भव्य शोभायात्रा ने जगाई आस्था की अलख

प्रातः 8 बजे माणक चौक मंदिर, राजवाड़ा से प्रारंभ हुई शोभायात्रा ने मल्हारगंज मार्ग से होते हुए नगर को धर्ममय बना दिया। श्रद्धालुओं ने ढोल-ढमाके, पुष्पवर्षा और जयकारों से मुनिश्री का स्वागत किया। जगह-जगह पाद प्रक्षालन कर संतों का भव्य पड़गाहन हुआ।

71 पिच्छीधारियों से सजी धर्मयात्रा

इस शोभायात्रा में पहले से इंदौर में विराजमान मुनिश्री आदित्य सागर जी ससंघ भी सम्मिलित हुए, जिनका आचार्य श्री से मिलन एक दिव्य क्षण बन गया। कुल 71 पिच्छीधारी संतों की उपस्थिति से पूरा वातावरण जैसे महाकुंभ की अनुभूति से भर गया।

नसीया जी मंदिर में धर्मसभा का आयोजन

इसके पश्चात आचार्य श्री ससंघ ने बड़ा गणपति स्थित नसीया जी मंदिर में प्रवेश कर श्रीजी के दर्शन किए और वहाँ धर्मसभा का आयोजन हुआ। आचार्य श्री के मंगल प्रवचन में जीवन के आध्यात्मिक उद्देश्य, संयम, और सच्चे सुख की भावना को प्रमुखता से रखा गया।

समाजजनों ने बढ़-चढ़कर लिया भाग

इस आयोजन में इंदौर सामाजिक संसद के राजकुमार पाटोदी, सुशील पंड्या, राजेन्द्र सोनी, महावीर जैन अग्निबाण, पवन मोदी, पवन पाटोदी (केसरिया कैटर्स), संजय जैन (नसीया जी ट्रस्ट) सहित अनेक गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया। बड़ी संख्या में समाजजनों ने श्रद्धा सहित कार्यक्रम का लाभ लिया।

पुण्यार्जकों की निःस्वार्थ सेवा

कार्यक्रम के उपरांत समाजजनों के लिए वात्सल्य स्वल्पाहार की उत्तम व्यवस्था की गई, जिसके पुण्यार्जक रहे –
राष्ट्रीय खंडेलवाल सर्राफा दिगंबर जैन संगठन के संस्थापक संदीप शीतल पहाड़िया,
महिला संगठन केसरिया जैन गरबा मंच, तथा राहुल गोधा (विहर्ष ज्वेलर्स)

इंदौर का हर कोना अब तीर्थ बन चुका है। यह सिर्फ एक शोभायात्रा नहीं, बल्कि आस्था, त्याग और समर्पण का उत्सव है – और आप इसका हिस्सा हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):

1. आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज का इंदौर में मंगल प्रवेश कब हुआ?
➔ 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार प्रातः।

2. शोभायात्रा की शुरुआत कहाँ से हुई थी?
➔ माणक चौक मंदिर, राजवाड़ा से।

3. शोभायात्रा में कितने पिच्छीधारी संत सम्मिलित हुए?
➔ कुल 71 पिच्छीधारी संत।

4. नसीया जी मंदिर में कौन-सा विशेष आयोजन हुआ?
➔ धर्मसभा और आचार्य श्री का मंगल प्रवचन।

5. पुण्यार्जकों ने किस सेवा में योगदान दिया?
➔ वात्सल्य स्वल्पाहार की व्यवस्था में।

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