Indore News Sept 15: इंदौर में हुए हालिया हादसे ने शहर और लोगों को झकझोर कर रख दिया। जैन दृष्टिकोण से देखें तो यह केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की कमज़ोरी और लापरवाही का परिणाम है।
Indore News Sept 15 – लापरवाही जो ‘हत्या’ बन गई
- पुलिस चालान काटने में व्यस्त है, पर नशेड़ी और गैर-जिम्मेदार ड्राइवरों पर नज़र रखने की नीयत नहीं।
- प्रशासन सड़क सुरक्षा और ट्रैफ़िक मैनेजमेंट की जगह बयानबाज़ी में उलझा रहता है।
- न्यायपालिका याचिकाएँ सुनती है, मगर ठोस अमल की हिम्मत नहीं दिखाती।
नतीजा? मासूम ज़िंदगियाँ, परिवार और सपने—सब मिट्टी में मिल जाते हैं।
Jainism: जैन दृष्टिकोण से संदेश
जैन दर्शन हमें सिखाता है—
- अहिंसा परमो धर्मः — अहिंसा का अर्थ सिर्फ़ जीवहत्या से बचना नहीं, बल्कि अपनी लापरवाही से दूसरों की जान को जोखिम में न डालना भी है। सड़क पर लापरवाह ड्राइविंग और सिस्टम की उदासीनता भी हिंसा ही है।
- अपरिग्रह और संयम — आज के हादसों की जड़ लालच और उतावली है। ओवरलोड ट्रक, शराब की लत, और तेज़ रफ़्तार—ये सब संयम की कमी का परिणाम हैं। संयम और नियम पालन से अनगिनत ज़िंदगियाँ बच सकती हैं।
- सम्यक दृष्टि — न्यायपालिका और प्रशासन का कर्तव्य है कि वे दिखावटी कदमों से आगे बढ़ें और दूरदर्शी, जनहितकारी नीतियाँ बनाएँ। यही सच्चा सम्यक दृष्टिकोण है।
सीख जो हमें लेनी होगी
अगर हमने आज सबक नहीं लिया, तो कल फिर होगा—
एक और नशे में धुत ड्राइवर,
एक और ओवरलोडेड ट्रक,
एक और निर्दोष परिवार,
और कुछ नए आँसू।
सिस्टम तभी बदलेगा जब हम सब मिलकर जैन मूल्यों को व्यवहार में उतारें—
- अहिंसा के नाम पर सड़क पर अनुशासन और सुरक्षा को सर्वोच्च मानें।
- संयम अपनाएँ—नशे, लापरवाही और तेज़ रफ़्तार से दूरी रखें।
- जिम्मेदारी को धर्म मानें—चाहे वह प्रशासन हो, पुलिस हो या आम नागरिक।
Government: अब आवाज़ उठाने का समय है
यह हादसा एक चेतावनी है।
चेतावनी कि अहिंसा सिर्फ़ शास्त्रों की पंक्तियों में नहीं, बल्कि सड़कों पर भी जीवित होनी चाहिए।
अगर सिस्टम नहीं जागा, तो जनता का आक्रोश एक तूफ़ान बनेगा—और यह तूफ़ान केवल कुर्सियाँ ही नहीं, बल्कि लापरवाही की जड़ों को भी हिला देगा।
जैन (jain) संदेश:
“सच्ची अहिंसा वही है जब हम किसी की जान बचाने के लिए जागरूक रहें।
लापरवाही से हुई मौत भी हिंसा है—और इसका अपराधी सिर्फ़ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरा सोया हुआ समाज है।”