Gratitude: सब कुछ पाकर भी अधूरे? जानें आभार की ताकत

आज के युग में हम अक्सर अपनी ज़िंदगी में भागते रहते हैं, नए सपने, नए लक्ष्य और नई उपलब्धियों के पीछे। लेकिन इस दौड़ में हम अक्सर भूल जाते हैं अपने जीवन में मौजूद उन चीजों का शुक्रिया अदा करना जो हमें सच में खुश रखती हैं। जैन धर्म, जो अहिंसा, त्याग और सादगी के सिद्धांतों पर आधारित है, हमें सिखाता है gratitude का असली महत्व। यह सिर्फ ‘धन्यवाद‘ कहने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपने मन, विचार और जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने का तरीका है।

Gratitude: जैन दर्शन में आभार का अर्थ :

जैन धर्म के अनुसार, जीवन को एक उपहार माना गया है। उदाहरण के लिए, कल्पना कीजिए कि आप किसी दिन बहुत व्यस्त और तनावग्रस्त हैं। उसी दिन आपके मित्र ने अचानक आपके लिए खाना भेज दिया। यह छोटी सी चीज़ आपके दिन को बदल सकती है। यही आभार है – उन छोटी-छोटी खुशियों को पहचानना और उनका सम्मान करना। हर प्राणी, हर वस्तु और हर परिस्थिति में कुछ न कुछ सीखने लायक होता है। जैसे कि अगर किसी ने आपको बेवजह बुरा कहा, तो आप उस परिस्थिति से सीख सकते हैं कि हमें नकारात्मकता के प्रति कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए। इस तरह की स्थितियां हमें शांत और सहनशील बनाती हैं। जैन ग्रंथ हमें सिखाते हैं कि हमें अपनी ज़िंदगी में जो कुछ भी प्राप्त होता है, उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए। चाहे वह हमारे माता-पिता हों, हमारे शिक्षक हों, या फिर वे कठिनाइयाँ जो हमें मजबूत बनाती हैं।

जैन सूत्रों में ‘सम्यक दर्शन’ का महत्व बताया गया है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपको परीक्षा में उतने अच्छे अंक नहीं मिले जितने आप चाहते थे। ‘सम्यक दर्शन’ हमें यह सिखाता है कि इस स्थिति में निराश होने की बजाय, हमें यह देखना चाहिए कि हमने क्या सीखा, हमारी क्या कमियाँ थीं और कैसे हम आगे और बेहतर कर सकते हैं। इसका मतलब है चीजों को उनके असली रूप में देखना और समझना। जब हम अपने जीवन को इस नज़रिए से देखते हैं, तब हम अपने जीवन के हर पल का सम्मान करने लगते हैं और यही आभार है।

Gratitude: क्यों है आभार युवाओं के लिए ज़रूरी?

आज के समय में युवा अक्सर अपने करियर, सोशल मीडिया और दुनिया के आकर्षण में इतने उलझे रहते हैं कि वे अपनी असली खुशियों को देख नहीं पाते। जैन धर्म हमें सिखाता है कि हम अपनी ज़िंदगी की असली संपत्ति को समझें और उसका सम्मान करें। यह संपत्ति सिर्फ धन-दौलत नहीं, बल्कि हमारे रिश्ते, हमारी सेहत और हमारा मन है।

  • तनाव को कम करने में :

कल्पना कीजिए कि आप किसी परीक्षा में असफल हो गए हैं। आप तनाव में हैं और खुद को नाकाम समझ रहे हैं। ऐसे में, जैन दर्शन हमें सिखाता है कि इस असफलता को भी एक अनुभव के रूप में देखें। उस क्षण को आभार के साथ स्वीकार करें कि आपको अपनी कमज़ोरियों को समझने का मौका मिला। यह सोच आपके तनाव को कम करेगी और आपको आगे बढ़ने की शक्ति देगी। जब हम अपने पास मौजूद चीज़ों का शुक्रिया अदा करते हैं, तो हमारा मन तनाव-मुक्त होता है। हम अपनी ज़िंदगी की कमी और खामियों को भूलकर उस संपत्ति को देखने लगते हैं जो हमारे पास है।

  • रिश्तों को मजबूत बनाने में :

मान लीजिए कि आपके और आपके सबसे अच्छे मित्र के बीच किसी बात पर झगड़ा हो गया है। आप दोनों ने एक-दूसरे से बात करना बंद कर दिया है। ऐसे में, जैन दर्शन कहता है कि आप इस परिस्थिति में आभार को अपनाएं। सोचें कि आपके इस मित्र ने आपकी ज़िंदगी में क्या-क्या सकारात्मकता लाई है। उसके अच्छे पलों को याद करें और उसे धन्यवाद कहें। यह आपके रिश्ते को और मजबूत बनाएगा। आभार से हम अपने रिश्तों को समझ पाते हैं। हम समझते हैं कि हमारे माता-पिता ने हमें क्या दिया, हमारे दोस्तों ने हमारे लिए क्या किया। जब हम उनका सम्मान करते हैं, तो रिश्तों में और गहराई आती है।

  • खुद को पाने में :

कल्पना कीजिए कि आप किसी इंटरव्यू में असफल हो गए हैं। आप निराश महसूस कर रहे हैं। लेकिन जैन धर्म हमें सिखाता है कि हर असफलता हमें खुद को समझने का एक और मौका देती है। इस अनुभव का शुक्रिया अदा करें क्योंकि इसने आपको यह सिखाया कि आपकी तैयारी में क्या कमी थी। जब आप इस नज़रिए से सोचेंगे, तो आप खुद को बेहतर समझने लगेंगे। जब हम अपने जीवन को समझ कर उसका शुक्रिया अदा करते हैं, तब हम अपनी असली पहचान को पाते हैं। हम समझते हैं कि हम सिर्फ अपनी सफलताओं से नहीं, बल्कि अपनी हारों और सीखों से भी बने हैं।

Gratitude: जैन धर्म में आभार को व्यवहारिक रूप में कैसे अपनाएं?

  1. अहिंसा को जीवन का हिस्सा बनाएं :

सोचिए कि किसी दिन आप किसी से नाराज़ हो जाते हैं और उसे कठोर शब्द कह देते हैं। बाद में आपको पछतावा होता है। जैन धर्म हमें सिखाता है कि हम अपने शब्दों और कर्मों के प्रति सजग रहें। यदि आप उस व्यक्ति से माफी मांगते हैं और उसे आभार के साथ समझाते हैं कि उसका धैर्य आपके लिए प्रेरणा है, तो आप अपने भीतर अहिंसा और आभार दोनों को जगह देते हैं। जब हम सभी जीवों का सम्मान करेंगे, तो हम उनके जीवन के प्रति कृतज्ञता को अनुभव करेंगे।

  1. प्रतिदिन समय निकालें :

रात को सोने से पहले अपनी डायरी में तीन ऐसी चीजें लिखें, जिनके लिए आप उस दिन आभारी महसूस कर रहे हैं। जैसे – ‘आज मेरी माँ ने मेरे लिए मेरा पसंदीदा खाना बनाया।’, ‘आज मेरे मित्र ने मेरी समस्या को धैर्यपूर्वक सुना। आज मुझे बारिश में भीगने का आनंद मिला।’ ये छोटी-छोटी बातें आपको आभार की भावना को विकसित करने में मदद करेंगी। हर रात सोने से पहले अपने दिन के तीन ऐसे पलों के बारे में सोचिए जो आपके जीवन में खुशी लाए और उनका शुक्रिया अदा करें।

  1. अपने जीवन के लोगों को धन्यवाद कहें :

कभी-कभी अपने माता-पिता या दोस्तों के पास जाकर बस इतना कहें, ‘धन्यवाद, आपने हमेशा मेरा साथ दिया।’ यह साधारण सा शब्द आपके रिश्ते में एक नई मिठास घोल सकता है। जैसे कि अगर आपके किसी मित्र ने आपको किसी मुश्किल घड़ी में संभाला हो, तो उसे कॉल करें और उसके समर्थन के लिए उसका आभार व्यक्त करें।अपने माता-पिता, दोस्तों और शिक्षकों को कभी-कभी जाकर बस इतना कहें, ‘धन्यवाद।’ ये शब्द छोटे हैं, पर इनमें असर बहुत है।

  1. ध्यान करें :

प्रत्येक दिन सुबह 10 मिनट का समय निकालें और ‘मैत्री भावना’ का ध्यान करें। अपनी आँखें बंद करें, गहरी सांस लें और उन सभी लोगों के बारे में सोचें जिन्होंने आपकी ज़िंदगी में किसी भी तरह से योगदान दिया है। मन ही मन उन सभी के प्रति आभार व्यक्त करें। यह प्रक्रिया आपके मन को शांति देगी और आपको जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करेगी।जैन ध्यान में ‘मैत्री भावना’ और ‘क्षमा भावना’ को अपनाया जाता है। ये हमारे मन को शांत करने के साथ-साथ हमारे विचारों को भी शुद्ध बनाता है।

Gratitude: अंतिम विचार:

जैन धर्म हमें सिखाता है कि जीवन में हम जितना प्राप्त करते हैं, उसका सम्मान करना सीखें। युवाओं के लिए यह समय सिर्फ आगे बढ़ने का नहीं, बल्कि पीछे मुड़ कर अपनी संपत्ति को देखने का भी है। gratitude सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि जीवन को जीने का तरीका है। जब हम अपने जीवन के हर पल का शुक्रिया अदा करते हैं, तब हम सच में जीने लगते हैं।

तो, आज से अपने जीवन के हर दिन को आभार के साथ जिएं और जैन शिक्षाओं को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

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