3 अक्टूबर का दिन सिवनी के लिए सिर्फ एक तारीख नहीं था—वह एक याद था, एक भाव था, और एक ऐसा पल जिसे वहाँ मौजूद हर व्यक्ति ने अपनी आँखों में सजाकर संजो लिया। जबलपुर रोड स्थित लूघरवाड़ा के निजी लान में आयोजित विदाई समारोह में माहौल शुरू से ही अलग था। हवा में हल्की नर्मी, मंच पर सौम्यता और चारों ओर उन लोगों की उपस्थिति जो संस्कृति जैन के कार्यकाल को सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि मानवीय रिश्तों की एक सीख मानते थे।
जब कर्मचारियों ने अपनी सम्मानित पूर्व कलेक्टर संस्कृति जैन को पालकी में बैठाया, तो यह पल सिर्फ सम्मान का नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और अपनापन का प्रतीक बन गया। पालकी में उनके साथ उनकी दोनों प्यारी बेटियाँ भी थीं—जिनकी मुस्कान उस पूरे दृश्य को और अधिक मार्मिक बना रही थी।
और फिर पृष्ठभूमि में बजने लगा वह गीत—
“पालकी में होके सवार चली रे, मैं तो अपने साजन के द्वार चली रे…”
इस मधुर धुन ने ऐसा जादू रचा कि लान में मौजूद कई आँखें नम हो गईं।
कर्मचारी, अधिकारी, नागरिक—हर कोई एक ही भावना से भरा हुआ था:
विदाई मुश्किल होती है, लेकिन सम्मान के साथ मिली विदाई दिल को गर्व से भर देती है।
उस शाम सिवनी ने सिर्फ एक कलेक्टर को विदाई नहीं दी—
उसने एक इंसानियत भरे नेतृत्व को सलाम किया।
कलेक्टर संस्कृति जैन: सरलता और नेतृत्व का प्रतीक
सपनों की उड़ान तभी साकार होती है, जब जिद और जुनून उसे पंख देते हैं। मध्यप्रदेश की आईएएस अधिकारी संस्कृति जैन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। UPSC जैसी चुनौतीपूर्ण परीक्षा को पास करना ही बड़ी उपलब्धि होती है, लेकिन संस्कृति ने इसे तीन बार पास करके अपनी क्षमता और धैर्य का लोहा मनवाया। तीसरी बार में उन्होंने ऑल इंडिया 11वीं रैंक हासिल की, जिससे न केवल उनका खुद का नाम बल्कि पूरे देश का मान बढ़ा।
उनका जीवन केवल सफलता की कहानियों तक सीमित नहीं है। संस्कृति जैन अपने हंसमुख और सरल स्वभाव के लिए जानी जाती हैं। उनका व्यक्तित्व न केवल उनके कर्मचारियों बल्कि पूरे जिले में प्रेरणास्पद रहा है। वे आवश्यकता पड़ने पर विभागीय अमले का नेतृत्व करतीं, समस्याओं और गलतियों की ओर ध्यान आकर्षित करतीं, और हमेशा समाधान पर केंद्रित रहती हैं। उनका यह दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि एक अधिकारी केवल आदेश देने वाला नहीं, बल्कि संगठन और समाज का मार्गदर्शक भी हो सकता है।
संस्कृति जैन के साथ उनके जीवन का दूसरा अध्याय भी प्रेरक है—उनके पति आशुतोष गुप्ता, जो कि आईपीएस अधिकारी हैं, उनकी तैनाती भी मध्यप्रदेश में है। यह जोड़ी न केवल व्यक्तिगत सफलता बल्कि सार्वजनिक सेवा के आदर्श को भी जीवंत करती है।
“गिफ्ट ए डेस्क” अभियान: शिक्षा में क्रांति
संस्कृति जैन ने जिले के सरकारी स्कूलों की दिशा और दशा सुधारने के लिए “गिफ्ट ए डेस्क” अभियान की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य था कि हर छात्र को बैठने और पढ़ाई करने के लिए बेहतर सुविधाएँ मिलें। इस अभियान में दानदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लोगों ने स्कूलों के लिए नई डेस्क, बेंच और शैक्षणिक सामग्री दान की। इस पहल ने न केवल सरकारी स्कूलों के वातावरण को सुधारा बल्कि बच्चों की पढ़ाई में भी उत्साह बढ़ाया। कर्मचारियों और नागरिकों ने इसे बेहद सराहा।
कर्मचारियों के लिए एक आदर्श
कर्मचारी कहते हैं कि संस्कृति जैन सिर्फ आदेश देने वाली नहीं थीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर आगे बढ़कर मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान करती थीं। उनका नेतृत्व, संवेदनशीलता और समर्पण सभी को प्रेरित करता था। विदाई समारोह के दौरान कर्मचारी उन्हें पालकी में बैठाकर अपने कंधों पर ले गए, यह उनकी सम्मान और स्नेह की भावना को दर्शाता है।
नवागत भूमिका: भोपाल में नई जिम्मेदारी
सिवनी से विदा होकर संस्कृति जैन ने नगर पालिक निगम भोपाल में आयुक्त का प्रभार संभाला। उनके सरल स्वभाव, नेतृत्व और कार्य के प्रति समर्पण ने यह दिखा दिया कि एक सच्चा अधिकारी न केवल विभाग बल्कि समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है।
प्रेरणा का संदेश
संस्कृति जैन की कहानी हर युवा और पेशेवर के लिए एक मिसाल है। यह दिखाती है कि सादगी, समर्पण और नेतृत्व का संगम किसी भी क्षेत्र में बदलाव ला सकता है। उनकी पहलें, खासकर “गिफ्ट ए डेस्क” अभियान, यह साबित करती हैं कि छोटे प्रयास भी बड़े परिवर्तन की दिशा बन सकते हैं, जब उन्हें सही सोच और प्रतिबद्धता के साथ किया जाए।
अपने कार्यों, मूल्यों और सादगी भरे नेतृत्व से संस्कृति जैन न केवल प्रशासन की प्रेरणा बनी हैं, बल्कि जैन समाज को भी गौरव के शिखर पर पहुँचा दिया है।