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“योग से आत्म-योग तक: जैन कायोत्सर्ग की मौन साधना”

हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है—दुनिया को योग के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभ से जोड़ना। इस अवसर पर हम कई योग पद्धतियों को अपनाते हैं। इन्हीं में से एक है — जैन धर्म की विशेष ध्यान विधि: कायोत्सर्ग

Yog divas: कायोत्सर्ग क्या है?

कायोत्सर्ग दो शब्दों से मिलकर बना है — “काया” यानी शरीर और “उत्सर्ग” यानी त्याग।
इसका अर्थ है — शरीर को त्यागकर आत्मा की ओर ध्यान लगाना।

इस अभ्यास में साधक स्थिर मुद्रा में खड़े या बैठकर अपने शरीर से दूर होकर स्वयं की आत्मा का अनुभव करता है।

योग दिवस: कैसे करें कायोत्सर्ग?

आप इसे खड़े होकर, बैठकर कर सकते हैं:

▶️ खड़े होकर करें तो:
  • पैरों में थोड़ा अंतर रखें (लगभग 10 सेंटीमीटर)
  • शरीर सीधा लेकिन सहज हो
  • हाथ शरीर के पास ढीले रहें
  • आँखें बंद, सांस धीमी और गहरी
▶️ बैठकर करें तो:
  • सुखासन, वज्रासन, या पद्मासन में बैठें
  • रीढ़ और गर्दन सीधी रखें
  • पूरा ध्यान शरीर से हटाकर आत्मा पर केंद्रित करें

World yoga day 2025: कायोत्सर्ग की प्रक्रिया – आसान तरीके से

  1. शरीर को स्थिर करें – किसी भी हलचल को रोकें
  2. एक-एक अंग को शिथिल करें – पैरों से लेकर सिर तक
  3. भीतर कहें – “मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ”
  4. मौन और स्थिरता बनाए रखें – विचारों को शांत करते रहें

International yoga day: जैन धर्म में कायोत्सर्ग का महत्व

  • यह जैन साधना की मूल भावना है — आत्मा को पहचानना
  • सभी 24 तीर्थंकरों ने ध्यान में यही भाव अपनाया
  • भगवान बहुबली वर्षों तक कायोत्सर्ग में लीन रहे — जो त्याग और आत्मबल का प्रतीक है

Jainism: कायोत्सर्ग के लाभ

  • मानसिक तनाव कम होता है
  • एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ता है
  • शरीर और आत्मा का अंतर स्पष्ट होता है
  • स्वास्थ्य में सुधार होता है — मानसिक और शारीरिक दोनों


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: सोचने वाले कुछ प्रश्न

  • क्या कभी आपने खुद को केवल “आत्मा” के रूप में अनुभव किया है?
  • कायोत्सर्ग के बाद क्या आपके मन में हलकापन और शांति महसूस हुई?
  • नियमित अभ्यास से क्या आपके विचारों में बदलाव आ रहा है?

21 june: निष्कर्ष

कायोत्सर्ग केवल एक ध्यान मुद्रा नहीं, यह आत्मा से जुड़ने का मार्ग है।
यह हमें सिखाता है — शरीर से परे भी हमारा अस्तित्व है, और उसी का नाम है चैतन्य आत्मा

योग दिवस के इस पावन अवसर पर, क्यों न हम जैन परंपरा की इस अनुपम साधना को अपनाएं —
और आत्मिक जागरूकता के साथ जीवन को सरल, शांत और स्थिर बनाएं।