क्या आपको भी हर बार मिंत्रा (Myntra) ,अजिओ (Ajio) या अमेज़न (Amazon) खोलते ही नए-नए डिस्काउंट और सेल के नोटिफिकेशन (Notification) दिखते हैं? क्या आपके मन में भी यह सवाल उठता है – ‘70% ऑफ, बाय वन गेट वन – क्या सच में मैं बचत कर रहा हूँ या फालतू का सामान इकट्ठा कर रहा हूँ?’ क्या आप भी डिस्काउंट के इस चक्रव्यूह में फंस चुके हैं?
अब सोचिए, क्या यह सच में फायदा है या सिर्फ एक जाल? क्या हम वाकई में अपनी जरूरतों को समझ रहे हैं या बस सेल के नाम पर अनावश्यक चीजों को जमा कर रहे हैं? एक क्लिक आपकी सोच बदल सकता है – लेकिन कैसे?
डिस्काउंट (Discount) का जाल – क्या सच में बचत हो रही है?
कई बार हम सोचते हैं कि हम डिस्काउंट पर खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में हम अपनी जरूरत से ज्यादा वस्त्र, जूते, गैजेट्स आदि इकट्ठा कर रहे होते हैं। यहां हमें जैन धर्म के दो प्रमुख सिद्धांत – अपरिग्रह और अनेकांत की याद आती है।
उदाहरण (Example):
कल्पना कीजिए, आपको एक जैकेट पसंद आ गई है जो 70% डिस्काउंट पर है। जैकेट की असली कीमत ₹5000 है और डिस्काउंट के बाद यह ₹1500 में मिल रही है। आप इसे खरीद लेते हैं, भले ही आपको इसकी असल में आवश्यकता नहीं थी। अब सोचिए, क्या आपने ₹3500 बचाए या ₹1500 खर्च कर दिए?
यहां अपरिग्रह सिद्धांत हमें यह सिखाता है कि अनावश्यक वस्तुओं को इकट्ठा करने से बचना चाहिए। जितना आवश्यकता है, उतना ही लेना चाहिए। अपरिग्रह का वास्तविक अर्थ है – संग्रह का त्याग। इसे पालन करने के लिए हमें यह विचार करना होगा:
- क्या मैंने पहले से ऐसे कपड़े नहीं खरीदे हैं?
- क्या यह खरीदारी मेरे बजट के अनुसार है?
- क्या यह वस्त्र मेरे मन की शांति में बाधा तो नहीं बनेगा?
Jain: अनेकांत का दृष्टिकोण – ‘यह सही है या गलत?’
किसी भी वस्तु को खरीदने से पहले हमें अनेकांत के दृष्टिकोण से सोचना चाहिए। अनेकांत का अर्थ है – किसी भी स्थिति को कई दृष्टिकोणों से देखना।
- दृष्टिकोण 1: ‘यह जैकेट बहुत सस्ती है, मुझे इसे खरीद लेना चाहिए।’
- दृष्टिकोण 2: ‘मुझे पहले से ही 4 जैकेट्स हैं, क्या मुझे वास्तव में पांचवी जैकेट चाहिए?’
- दृष्टिकोण 3: ‘क्या मैं इस ₹1500 को कहीं और, किसी आवश्यक कार्य में खर्च कर सकता हूँ?’
यहां अनेकांत हमें सिखाता है कि किसी भी निर्णय को एकांगी दृष्टिकोण से न देखें। यह दृष्टिकोण हमें एक गहरी समझ देता है कि हम अपनी जरूरतों और इच्छाओं को कैसे अलग कर सकते हैं।
Jain: तुलना – विज्ञापन बनाम वास्तविकता
विज्ञापन की दृष्टि | वास्तविक दृष्टि |
‘बाय मोर, सेव मोर’ | ‘कम से कम में संतुष्टि पाएं’ |
‘ऑफर्स खत्म होने से पहले खरीदें’ | ‘सही समय पर, सही आवश्यकता पर ध्यान दें’ |
‘नया कलेक्शन आ गया है!’ | ‘क्या पुराने वस्त्र अभी भी उपयोगी हैं?’ |
Online shopping: डिजिटल युग में अपरिग्रह
आजकल शॉपिंग केवल बाजारों तक सीमित नहीं है। मोबाइल में आए एक नोटिफिकेशन पर ही हम बिना सोचे-समझे ऑर्डर कर देते हैं। लेकिन क्या यह वास्तव में अपरिग्रह है? नहीं।
- ई-कॉमर्स और अपरिग्रह: यदि हमें कोई वस्तु खरीदनी है, तो हमें पहले यह विचार करना चाहिए कि क्या यह हमारे पास पहले से मौजूद वस्त्रों से बेहतर है?
- सेल और मन की परीक्षा: सेल के दौरान मन में उथल-पुथल होती है। हमें यहां अनेकांत दृष्टि का प्रयोग करना चाहिए – ‘क्या मैं इसे सिर्फ इसलिए खरीद रहा हूँ क्योंकि यह सस्ता है या क्योंकि इसकी जरूरत है?’
Discount: समाधान – मन को संभालने के कुछ उपाय:
- अपरिग्रह चेकलिस्ट बनाएं: क्या यह वस्तु वास्तव में आवश्यक है?
- ध्यान और आत्मचिंतन करें: क्या यह वस्तु हमें वास्तविक सुख देगी?
- लक्ष्य तय करें: बजट और आवश्यकता का आकलन करें।
- सेल अलर्ट बंद करें: जब तक सच में आवश्यकता न हो, ई-कॉमर्स ऐप्स के नोटिफिकेशन बंद कर दें।
- दान का अभ्यास करें: यदि कोई वस्त्र अनावश्यक हो गया है, तो उसे किसी जरूरतमंद को दान दें।
निष्कर्ष (Conclusion)
अगली बार जब आपको कोई ‘70% ऑफ’ या ‘लिमिटेड पीरियड ऑफर’ का नोटिफिकेशन दिखे, तो एक पल रुकें। अपने मन से पूछें – ‘क्या यह वाकई में बचत है या बस एक जाल है?’ एक क्लिक और आपका निर्णय बदल सकता है।
तो अब क्या करेंगे आप – डिस्काउंट के जाल में फंसेंगे या अपनी सोच को एक नई दिशा देंगे?
FAQ – डिस्काउंट और मन की उलझनें
- क्या सेल में खरीदारी करने से वाकई में बचत होती है?
- अगर वस्तु की जरूरत नहीं है, तो यह बचत नहीं बल्कि व्यर्थ खर्च है।
- कैसे जानें कि हम सिर्फ ऑफर के नाम पर फंस रहे हैं?
- खरीदने से पहले खुद से पूछें: क्या इसकी आवश्यकता है या बस ऑफर देखकर आकर्षित हो रहा हूँ?
- क्या अपरिग्रह सिद्धांत ई-कॉमर्स पर भी लागू होता है?
- हां, अपरिग्रह का अर्थ है – सिर्फ उतना ही लेना, जितनी जरूरत हो। ऑनलाइन या ऑफलाइन, यह सिद्धांत हमेशा लागू होता है।
- अनेकांत दृष्टिकोण से डिस्काउंट को कैसे समझें?
- एक ही वस्तु को कई दृष्टिकोण से देखें – यह सस्ता है, लेकिन क्या यह आवश्यक है? क्या इस पैसे का अन्यत्र बेहतर उपयोग हो सकता है?
- सेल में खरीदारी करते समय मन को कैसे नियंत्रित करें?
- एक चेकलिस्ट बनाएं – क्या यह वस्त्र आपके पास पहले से नहीं है? क्या यह बजट में है? क्या यह वास्तविक जरूरत है?