Food Label Guide: क्या आप भी सिर्फ ग्रीन डॉट देखकर किसी भी प्रोडक्ट को शुद्ध शाकाहारी मान लेते हैं?
यह लेख सिर्फ जैन समुदाय नहीं, बल्कि उन सभी शुद्ध शाकाहारी और सात्विक सोच रखने वालों के लिए है जो हर पैक्ड चीज़ खरीदने से पहले एक बार सोचते हैं – “क्या ये सच में वैसा ही है जैसा दिखाया गया है?”
आज हम बात करेंगे लेबल पढ़ने की उस कला की जो आपको एक स्मार्ट, हेल्दी और नैतिक उपभोक्ता बना सकती है।
1. Food Label Guide: ग्रीन डॉट = शाकाहारी, लेकिन क्या शुद्ध भी?
- हरे रंग का डॉट यह दर्शाता है कि उत्पाद में मांस या अंडा नहीं है।
- लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह बिना लहसुन-प्याज, अल्कोहल, विनेगर या पशु-जनित पदार्थों से मुक्त है।
2. Food Label Guide: यह इंग्रेडिएंट्स सुनने में सामान्य, लेकिन असल में शुद्ध नहीं:
जब आप किसी पैक्ड फूड का लेबल पढ़ते हैं, तो कई बार कुछ ऐसे इंग्रेडिएंट्स लिखे होते हैं जिनका नाम तो वेजिटेरियन लगता है, लेकिन असल में उनके पीछे की सच्चाई कुछ और ही होती है।
E471 और E472 जैसे नंबर अक्सर दिखते हैं – ये कभी-कभी जानवरों की चर्बी से बनाए जाते हैं।
जिलेटिन एक ऐसा इंग्रेडिएंट है जो ज़्यादातर पशुओं की हड्डियों से तैयार किया जाता है – खासकर मिठाइयों और जैली में पाया जाता है।
रेनेट एक एंजाइम होता है जो दूध को फाड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और यह बछड़े के पेट से प्राप्त किया जाता है – यानी यह शुद्ध शाकाहारी नहीं है।
विनेगर, जो हमें सलाद ड्रेसिंग या चटनी में दिखता है, कई बार वाइन या बीयर जैसे अल्कोहल बेस से बनता है।
E120 नाम का एक कलरिंग एजेंट होता है जो कोचीनियल नामक कीड़े से बनाया जाता है – यह अक्सर गुलाबी या लाल रंग के फूड्स में इस्तेमाल होता है।
Natural Flavours शब्द बहुत आम है, लेकिन इसमें लहसुन, प्याज या पशु-जनित फ्लेवर तक शामिल हो सकते हैं – और हमें इसकी जानकारी नहीं दी जाती।
इसलिए सिर्फ “Natural” या “Vegan-looking” शब्दों पर भरोसा न करें – हर चीज़ की तह तक जाएं।
3.Food Label Guide: “सात्विक” और “सिर्फ वेज” – इन दोनों में फर्क है
- सात्विक खाद्य उत्पाद सिर्फ शाकाहारी नहीं, मानसिक और शारीरिक शुद्धता को बढ़ावा देने वाले होते हैं।
- प्याज़, लहसुन, अल्कोहल, फर्मेंटेड पदार्थ आदि सात्विक नहीं माने जाते।
यदि कोई प्रोडक्ट ‘जैन फ्रेंडली’ या ‘सात्विक’ लिखा हो तो भी संपूर्ण इंग्रेडिएंट्स जांचें।
4. Food Label Guide: पैक्ड फूड में छिपे संकेत – कैसे पहचानें?
- “INS”, “E-numbers”, “Flavour Enhancers” जैसे शब्द आम तौर पर कंफ्यूज़ करते हैं।
- उदाहरण:
- E1105 (Lysozyme) – अंडे से आता है
- E322 (Lecithin) – अंडा या सोया दोनों हो सकता है
- E920 – मनुष्य के बालों से प्राप्त हो सकता है
ये वेबसाइट्स आपकी मदद कर सकती हैं:
- FSSAI – https://www.fssai.gov.in/
- Food Additives Database – https://www.foodadditives.net/
- CodeCheck – https://www.codecheck.info/
5. Food Label Guide: सिर्फ आस्था नहीं, यह विज्ञान भी है
“जैसा अन्न, वैसा मन।”
- वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि हमारा खान-पान हमारी सोच, ऊर्जा और जीवनशैली पर सीधा असर डालता है।
- लेबल पढ़ना आपको देता है:
- स्वस्थ विकल्पों की समझ,
- भ्रम से मुक्ति,
- और सच का साथ।
6. यह आपकी ज़िम्मेदारी है – एक जागरूक उपभोक्ता बनें
- आज जब “क्रुएल्टी-फ्री”, “वेलनेस”, और “क्लीन ईटिंग” जैसे ट्रेंड्स बढ़ रहे हैं, तो क्यों न हम भी सिर्फ स्वाद नहीं, सत्य चुनें?
हर बार जब आप कुछ नया खरीदें – रुकें, सोचें, और लेबल ज़रूर पढ़ें।
अंतिम तीन सूत्र:
- हर इंग्रेडिएंट को गहराई से समझें।
- “100% वेज” का टैग सब कुछ नहीं कहता।
- वही उत्पाद खरीदें जो पारदर्शिता और नैतिकता को महत्व देते हों।
आज से संकल्प लें – मैं वही खाऊंगा जो मेरे शरीर, मन और धरती – तीनों के लिए सही हो।
जागरूक उपभोक्ता = श्रेष्ठ नागरिक।
Also read: https://jinspirex.com/tirth-yatra-packing-guide-spiritual-practical-preparation/
FAQ – जैन-फ्रेंडली फूड और फूड लेबल गाइड
1. क्या ग्रीन डॉट वाला प्रोडक्ट शाकाहारी होता है?
ग्रीन डॉट दिखाता है कि प्रोडक्ट में मांस या अंडा नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह शुद्ध शाकाहारी है।
2. क्या “जैन-फ्रेंडली” प्रोडक्ट शुद्ध जैन होता है?
नहीं, “जैन-फ्रेंडली” का मतलब यह नहीं कि प्रोडक्ट पूरी तरह शुद्ध है। इंग्रेडिएंट्स चेक करना जरूरी है।
3. शाकाहारी और सात्विक में क्या फर्क है?
शाकाहारी में मांसाहार नहीं होता, जबकि सात्विक में प्याज़, लहसुन, और अल्कोहल शामिल नहीं होते।
4. “नैचुरल फ्लेवर” शाकाहारी होता है?
नहीं, नैचुरल फ्लेवर में पशु-जनित तत्व हो सकते हैं, इसलिए इंग्रेडिएंट्स चेक करें।
5. क्या सभी ई-नंबर शाकाहारी होते हैं?
नहीं, कुछ ई-नंबर (जैसे E120, E471) पशु-जनित होते हैं, इसलिए उन्हें ध्यान से समझें।
6. क्या फूड लेबल पढ़ना जरूरी है?
हां, लेबल पढ़ना जरूरी है ताकि आप जान सकें कि उत्पाद आपके आहार और आस्थाओं के अनुरूप है।